लेखनी कहानी -12-Apr-2022 शोर्ट स्टोरी लेखन # प्रेम परीक्षा
किशन राठी शहर का मशहूर हलवाई था उसके हाथ की मिठाई सारे शहर मे प्रसिद्ध थी।मां बाप की इकलौती औलाद होने के कारण पढ़ाई मे ध्यान कम ही था किशन का । बड़ी मुश्किल से आठ जमात पढ़ा था ।बेटे का पढ़ाई मे ध्यान ना होने के कारण पिता ने भी ज्यादा जोर नही दिया पढ़ने के लिए क्यों कि उसे काम तो यही हलवाई का ही सम्हालना था।किशन का भी अपने पिता की तरह मिठाई बनाने मे हाथ सिद्ध था। क्या गुलाब जामुन ,कया रबड़ी, क्या जलेबी। दुकान पर सभी ग्राहकों को बड़े प्यार से अपने हाथों से परोसता था।
किशन की उम्र शादी लायक हो गयी थी ।आजकल वो अकसर एक लड़की को अपनी दुकान पर देखता था।किसी संभ्रांत परिवार की थी शायद सूट और दुपट्टा ही पहनती थी हमेशा । किशन की आंखों से देखे तो बला की खूबसूरत थी वह ।वह लड़की हमेशा एक दो दिन मे उसकी दुकान से कभी जलेबी ,कभी रबड़ी का दोना, कभी रसगुल्ले ले जाती थी ।जिस दिन वह आती उस दिन तो किशन का दिन ही बन जाता था।उसे ऐसे लगता जैसे फूलों की महक चारों दिशाओं से आ रही है ।
एक दिन वह रबड़ी लेने आयी तो किशन उसको देखने मे इतना खो गया की रबड़ी दोने मे डालने की बजाय तराज़ू के पलड़े पर उडेल दी।सामने गल्ले पर उसके पिता उसकी ये हरकत देखकर मुस्कुरा दिये की लड़के को लड़की भा गयी है शायद ।जब वह लड़की काउंटर पर पैसे देने लगी तो किशन के पिता ने पूछ ही लिया ,"बेटा किसके यहां से हो ।पहले तो नही देखा तुम्हें यहां अभी ही आने लगी है हमारी दुकान पर।"
"जी अंकल मैं दीनानाथ जी की बेटी हूं।पहले मुम्बई पढती थी पर करोना की वजह से पापा ने यहीं एडमिशन करा दिया।"वह लड़की बोली।
किशन के पिता की अच्छी जानकारी थी दीनानाथ जी से बड़े ही अच्छे आदमी थे।शहर की मेन मार्केट मे फर्नीचर की दुकान थी।दो बेटे और एक बेटी थी । दोनों बेटों की शादी हो चुकी थी सब बाल बच्चे वाले हो गये थे बस लड़की ही कुंवारी थी।यही दुकान से थोड़ी दूरी पर ही उनका निवास स्थान था।
किशन के पिता ने ये बात उसकी मां को बताई तो वह निहाल हो गयी कब से वो यही चाहती थी की ऐसी बहू घर मे आये की घर का आंगन उसके रुप और गुणों से दमकने लगे।जब उसके पिता ने किशन की पसंद को बताया तो किशन की मां खुश हो गयीऔर अगले दिन रिश्ता लेकर उनके घर पहुंच गयी।इतने अमीर घर से रिश्ता आया था दीनानाथ जी का ना करने का प्रश्न ही नही था ।सोई राधा और किशन की शादी हो गयी ।शादी की पहली रात ही किशन को पता चल गया कि राधा की शादी उसके मन के खिलाफ हुई है वह अभी पढ़ना चाहती थी ।शादी के लिए तो पूरी जिंदगी पडी थी
दोनों मे यही बात तय हुई की जब तक दोनों रजामंद नही होंगे गृहस्थ जीवन मे प्रवेश नही करेंगे।अगले दिन किशन ने राधा के आगे पढ़ने की बात अपने पिता से की तो पहले तो थोड़ी नानुकुर की फिर मान गये।राधा भी एक कुशल गृहिणी की तरह सब काम करती फिर कालेज पढ़ने जाती । क्यों कि उसके पेपर नजदीक आ गये थे।
पेपरों के दिनों में किशन का उसका यूं खयाल रखना उसे बार बार उठ कर चाय देना कही राधे के मन को अंदर से छू गया।उसने कयी बार नोटिस किया था जब किशन उसे बड़े प्यार से देखता था और जब वह उसकी ओर देखती तो हड़बड़ा कर दूसरी ओर देखने लगता था।किशन का यू उसकी देखभाल करना राधा को भाने लगा था।इस बीच राधा मायके भी हो आयी । वहां भी उसे किशन की याद सताने लगी।जब वह ससुराल आयी तो उसने देखा उसकी चाची सास के बेटे की बहू की बहन आयी हुई है शायद वह पहले भी आती होगी क्योंकि वह किशन से बहुत खुली हुई थी ।बात बात पर उसका किशन को यूं छू कर बात करना राधा को अखरता।वह सारा दिन किशन से हंसी ठिठोली करती ।एक दिन हद ही हो गयी राधा ने किशन के लिए केक बनाया तो वह भी बना लायी और बोली,"तुम भी देख लेना किशन को सदा से ही मेरे हाथ का केक पसंद है वो आज भी मेरे हाथ का केक ही खायेगा।राधा को ये बात बिल्कुल बर्दाश्त नही हो रही थी वे दोनों किशन के आने का इंतजार करने लगी।जब किशन आया तो दोनों ने मेज पर रखे केक को पहचानने के लिए बोला।
किशन काफी समय तक तो देखता रहा फिर राधा के केक को हाथ मे लेकर बोला,"ये केक मेरी धर्मपत्नी का है ।मै इसे कैसे भूल सकता हूं उसके हाथों की खुशबू इससे आ रही है।"
राधा के आंसू झरझर बहने लगे और अपने पति का अपने प्रति समर्पण देखकर उसका हाथ पकड़ कर कमरे की ओर चल दी अपने गृहस्थ जीवन की शुरुआत करने के लिए।
जोनर# प्रेम
Seema Priyadarshini sahay
29-Apr-2022 08:50 PM
बहुत बढ़िया, शानदार👌
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Niraj Pandey
29-Apr-2022 12:04 AM
बहुत ही शानदार
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Zainab Irfan
28-Apr-2022 11:16 PM
Very nice 👍🏼
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